जनजातियाँ

परीक्षोपयोगी भारत की कुछ महत्वपूर्ण जनजातियाँ - 

👉- थारुः - थारु जनजाति उत्तराखंड के नैनीताल जिले से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के तराई क्षेत्र में निवास करती है। ये हिंदू धर्म मानते हैं। थारु जनजाति दीपावली को शोक पर्व के रुप मे मनाते हैं। इनमें संयुक्त परिवार की प्रथा है। थारु किरात वंश के माने जाते हैं। थारु जनजाति उत्तराखंड की सबसे बड़ी जनजाति है। 
👉-भोटियाः यह जनजाति उत्तराखंड की पहाड़ियों मे एवं उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में निवास करती है। भोटिया मंगोल प्रजाति के होते हैं। भोटिया जनजाति ऋतु प्रवास करती है। भुटिया जनजाति सिक्किम, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा में पाई जाती है। यह भी ऋतु प्रवास करती है।
👉-जौनसारीः जौनसारी उत्तराखंड में स्थायी निवास करने वाली कृषक-जनजाति है। इनमें बहुपति विवाह प्रथा पाई जाती है।
👉-बुक्साः यह जनजाति उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी एवं गढ़वाल जिलों में मुख्य रुप से तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में पाई जाती है। इन जनजातियों में अनुलोम व प्रतिलोम विवाह प्रचलित हैं। बुक्सा जनजाति राजपूत वंश से संबधित हैं।
👉-राजीः यह जनजाति उत्तराखंड में पाई जाती है। स्थानीय रुप में इन्हें बनरौत भी कहा जाता है। इनका धर्म हिंदू है। इन जनजातियों में कृषि की झूमिंग प्रथा अति प्रचलित है। बेस्ट स्टडी चैनल-स्टडी फॉर सिविल सर्विसेज
👉-खरवारः खरवार जनजाति उत्तर प्रदेश के देवरिया, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी एवं सोनभद्र जिलों में निवास करती है। ये स्वभाव से अत्यंत क्रोधी एवं शारीरिक रुप में मजबूत होते हैं। यह उत्तर प्रदेश की दूसरी बड़ी जनजाति है। यह जनजाति करमा नृत्य करती है। 
👉-गद्दीः यह जनजाति पश्चिमी हिमालय की धौलाधार श्रेणी जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा तथा चंबा आदि जिलों में निवास करती है। धौलाधार श्रेणी में गद्दी जनजाति प्राचीन जनजाति है जिसकी जनसंख्या 1.5 लाख से अधिक है। गद्दी स्वयं को गढ़वा (राजस्थान) शासकों के वंशज मानते हैं।धौलाधार श्रेणी की मुख्य जनजातियों में गद्दी, लद्दाखी, गुज्जर, बकरवाल, लाहोली, बारी आदि प्रमुख हैं। 
👉-गोंडः ये गोंडवानालैंड के मूल निवासी हैं जिस कारण इन्हें गोंड कहा जाता है। यह जनजातीय समूह बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) गुजरात में पाई जाती है। ये लोग मुख्यतः आखेट तथा मछली पर निर्भर हैं। गोंड जनजाति स्थानांतरी कृषि भी करते हैं। गोंड लोक कम वस्त्र पहनते हैं, परंतु स्त्रियों के आभूषण पहनने का बड़ा शौक है। पशुबलि इनकी महत्वपूर्ण प्रथा है। गोंड जनजाति समूह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।
👉-भीलः भील शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के बिल्कुवर शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है धनुषकारी। यह प्रोटो ऑस्ट्रेलियाड प्रजाति के हैं। यह जनजाति भारत के गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना सहित राजस्थान प्रातों में अधिवासित है। भीलों की संस्कृति में धूमर नृत्य का विशेष महत्व है।
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