दोहा

दोहा :


जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात


हिन्दी अर्थ :


इस दोहे में रविदास जी कहते है की जिस प्रकार केले के तने को छिला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बाँट दिया गया है इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग अलग बंट जाता है।


और इन अंत में इन्सान भी खत्म हो जाते है लेकिन यह जाति खत्म नही होती है। इसलिए रविदास जी कहते है जब तक ये जाति खत्म नही होंगा तब तक इन्सान एक दुसरे से जुड़ नही सकता है या एक नही हो सकता है।
#संत रविदास💫
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