भारत में साख - पत्रों का प्रचलन बहुत प्राचीन है तथा इसे हुंडी कहा जाता है। व्यापार में माल का क्रय एवं विक्रय नकद और उधार पर किय जाता है। यदि माल क्रय अथवा विक्रय नकद होता है, तो ऐसी स्थिति में भुगतान तत्काल कर दिया जाता है। दूसरी तरफ, यदि व्यापारी उधार लेन - देन करता है और सौदों का मूल्य तुरंत न चुका कर भविष्य मे चुकाता है तो ऐसी स्थिति में भावी भुगतान की समस्या का समाधान साख - पत्रों का माल बेचने वाले व्यक्ति को एक निश्चित अवधि में भुगतान का आश्वासन देता है। आधुनिक समय में इन साख - पत्रों को विनिमय - विपत्र अथवा प्रतिज्ञा - विपत्रों के नाम से जाना जाता है ।