बौद्ध दर्शन में अनात्मवाद का सिद्धान्त गौतम बुद्ध के प्रतीत्यसमुत्पाद के सिद्धांत से ही सिद्ध होता है | इसे नैरात्मवाद भी कहा जाता है । कुछ विचारको के मतानुसार , अनात्मवाद का सिद्धान्त केवल आत्मा पर लागू होता है । वस्तुतः इससे आत्मा और भौतिक जगत दोनों की ही व्याख्या होती है। जब गौतम बुद्ध "सर्व आत्मकम् " कहते हैं , तो इसका अर्थ है - कि किसी नित्य चेतन या जड़ तत्व का अस्तित्व नहीं है। न तो आत्मा नामक नित्य द्रव्य का अस्तित्व है और न भौतिक पदार्थ नामक जड़ द्रव्य का । द्रव्यता , एकता, तादात्म्य एव नित्यता आद कल्पना मात्र है ।