'गोपुरम् '

पाण्ड्यों के  राज्यकाल में भी द्रविड़ शैली पनपती रही । पाण्ड्य काल में मंदिर छोटे होते थे , किन्तु उनके प्रागण के चारो ओर अनेक प्राचीर बनाए जाते थे । ये प्राचीर तो सामान्य होते थे , किन्तु इनके प्रवेश द्वार , जिन्हे ' 'गोपुरम् ' कहा जाता था , भव्य एवं विशाल और प्रचुर मात्रा में शिल्पकारिता से अलंकृत होते थे । पाण्ड्यकालीन वास्तुकला की विशेषता मंदिर नहीं अपितु गोपुरम् हैं।
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