(1)आचार्य शुक्ल ने आदिकाल में देशभाषा काव्य में कितनी पुस्तकों की संख्या मानी --8
(2)" जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब ही साहित्य हैं "यह माना है ~~ शुक्ल
( 3)" भाषा सर्वेक्षण "के रचयिता है~~ जॉर्ज ग्रियर्सन
(4)पृथ्वीराज रासो कितने प्रकार के छंदों में लिखा गया है -~68
(5)उपदेश रसायन रास के रचयिता है-- जिनदत्त सूरी
(6)पृथ्वीराज रासो काव्य किस कोटि का है- वीरगाथा महाकाव्य
(7) " हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास " ग्रंथ के लेखक है ~~ रामकुमार
(8)इतिहास लेखन की सबसे विकसित पद्धति है विधेयवादी पद्धति
(9)विद्यापति ने कीर्तिलता को किस संवाद रूप में लिखा है भृंग-भृंगी
(10)" राठौड़ा री ख्यात" के रचयिता है।- दयालदास
(11) नाथों में "रसायनी" कौन थे ~~ नागार्जुन
(12) कविराज श्यामलदास तथा काशी प्रसाद जायसवाल ने रासो की उत्पत्ति मानी है ~ रहस्य से
(13)" आध्यात्मिक रंग के चश्मे आजकल बहुत सस्ते हो गए हैं उन्हें चढ़ाकर कुछ लोगों ने गीतगोविंद के पद्यों को आध्यात्मिक संकेत बताया है वैसे ही विद्यापति के पद्यों को भी पंक्ति है ~~आचार्य शुक्ल
(14)काफिर बोध, पंचअग्नि, दयाबोध, अष्ट चक्र व रसराह ग्रंथ है ~~गोरखनाथ
(15) कयमास वध किस रचना का खंड है ~~ पृथ्वीराज रासो
(16) उक्ति व्यक्ति प्रकरण के रचयिता है~~ दामोदर शर्मा (17) "मनहुं कला ससीभान कला सोलह सो बनिय " पंक्ति है ~~ चंदबरदाई
(18)"राउलबेल" श्रृंगार परक चंपू काव्य के रचयिता है ~~रोडा कवि
( 19)अपभ्रंश भाषा का प्रथम कवि माना जाता है ~~ स्वयंभू
(20)स्वयं को 'अभिमान मेरु कहा करते थे~~पुष्पदंत
(21)आदिकाल को संधिकाल एवं चारण काल किसने कहा ~~रामकुमार वर्मा
(22) बौद्ध सिद्धों के पदों और दोहों को 'बौद्धगान ओ दोहा' नाम से बांग्ला भाषा मे प्रकाशित किया पंडित हरप्रसाद शास्त्री
(23)किरान उस सादेन रचना है अमीर खुसरो
(24)'पुरुष परीक्षा' किसकी संस्कृत में रचित रचना है ~~ विद्यापति
(25)रिठेमणि चरिउ के रचयिता है~~ स्वयंभू
(26)कीर्तिलता की भाषा है ~~ अवहट्ट
(27)भू- परिक्रमा के रचयिता है ~~विद्यापति
(28) जयमयंक जस चंद्रिका के रचयिता है~~ मधुकर कवि (29)इयाश्रय काव्य की रचना की है ~~ हेमचंद्र
(30) 'कुमारपाल प्रतिबोध गद्य पद्य में प्राकृत काव्य लिखा है ~~ सोमप्रभ सुरि
(31) गोरखनाथ में किसके योग का सहारा लेकर 'हठयोग' का प्रवर्तन किया~~पतंजलि
(32) 'रत्नाकर जोपम कथा' किस संप्रदाय का मानक ग्रंथ है ~~ सिद्धों का
( 33)जिमि लोण बिलिज्जई पाणी एहि तिमि धरणी लई चित्त" कथन है कणहप्पा
(34)"गंगा जऊना माझे बहई रे नाइ" है- उक्ति है ~~ डोम्भीपा
(35) "काआ तरुवर पंच बिड़ाल" उक्ति है~~ लुइपा